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174 क्रेशरों पर ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक, 52 लाइसेंसी और बाकी गैर लाइसेंसी

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल स्थित सेंट्रल जोन बैंच ने सीकर जिले में स्थित 174 स्टोन क्रेशरों को तुरंत प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है। नीमकाथाना के भराला गांव निवासी कैलाश मीणा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दिलीप सिंह ने 174 क्रेशरों पर रोक लगाने का आदेश दिए। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सभी स्टोन क्रेशरों की मशीनरी जब्त करने और इनकी बिजली व पानी की आपूर्ति तुरंत प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए हैं। और साथ ही राज्य सरकार से ये भी कहा कि समूचे प्रदेश में सर्वे कराया जाए और अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रेशरों को जब्त किया जाए।

ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 52 ऐसे स्टोन क्रेशरों को राहत देने से इनकार कर दिया, जिनके पास लाइसेंस थे। विस्तार से देखें।

सौजन्य से- दैनिक भास्कर

एसडीएम बोले ये अवैध खनन नहीं तो क्या है?

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रायपुर मारवाड़। मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर लिलाम्बा व बली क्षेत्र मे अवैध खनन नहीं होने का तर्क देने वाले खनिज कार्मिक उस समय सकपका गए, जब उपखण्ड अधिकारी सोमवार को उन्हें मौके पर ले गए। मौके की स्थिति को देख उन्होंने खनिज विभाग के कार्मिकों से ही पूछ लिया कि ये अवैध खनन नहीं है तो क्या है? उन्होंने अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

उपखण्ड अधिकारी नारायणराम इन्दालिया ने सोमवार सवेरे ब्यावर में तैनात खनिज अभियंता को फोन कर टीम भेजने के निर्देश दिए। दोपहर के समय टीम उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पहुंची। उपखण्ड अधिकारी ने टीम को अपने साथ लेकर लिलाम्बा व बली क्षेत्र पहुंचे और वहां पर चल रहा अवैध खनन को दिखाते हुए कहा कि ये अवैध खनन नहीं तो क्या है? अब तक कार्रवाई की बजाय झूठ बोलकर खनन करने वालों को सरंक्षण क्यों दिया जा रहा था। यह सुन कार्मिक बगले झांकते लगे। इसी बीच वहां स्थानीय ग्रामीण भी पहुंच गए और खनिज विभाग के कार्मिकों पर खनन करने वालों से मिलीभगत कर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाने लगे। See more

Courtesy: Rajasthan Patrika

Public hearing on Odisha coal block called off following strong resistance by villagers

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A controversial public hearing for the Mahaguj Colliery Limited’s coal block here had to be called off today after angry people of five panchayats including Bagadia, Machakut under Chhendipada block of Angul district in Odisha dismantled the stage and the tent put up here by the administration for the hearing.

The people are opposed to a coal mining project in their area as it is a fertile land that offers them subsistence.

There are reports that the senior district officials including the sub-collector and the ADM, who had reached the spot of the public hearing, have had to face the ire of the people. Read more

Courtesy: Odisha Sun Times

Cancel public hearing at Chhendipada: Samantara

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Well-known social activist and president of Lok Shakti Abhiyan Prafulla Samantara has urged the Odisha State Pollution Control Board to cancel public hearing for Machakut coal mining scheduled to be held on Thursday at Chhendipada in Angul district of the State.

“The people of five gram panchayats including Bagadia, Machakut under Chhendipada Block Angul district have been protesting not to allow mining of coal in their agriculture land since the notification for land acquisition came out,” Samantara has said in a letter to the Member-Secretary of Odisha State Pollution Control Board.

“The natural resources like fertile agricultural land, forest, natural streams, and rivers will be destroyed by mining of coal.”

But against the will of the villagers the government is trying to have acquisition of land forcefully which could not take place till now due to democratic people’s resistance, Samantara said. Read more

Courtesy: Odisha Channel

Mining threatens to eat up northern Europe’s last wilderness

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Vast network of rivers, lakes and mountains in Finland, Sweden and Norway at risk from being exploited for rare earth and other minerals

Great stretches of Europe’s last wildernesses risk being damaged and polluted as the international mining industry gears up to develop northern Finland, Sweden, and Norway in search of uranium, iron ore, nickel, phosphorus, and valuable rare earth minerals, according to environmentalists.

The prize for British, Australian, Canadian and other companies is billion-dollar mega mines in Lapland, a region which covers all three countries and Russia, able to supply burgeoning industry in Asia.

But conservationists say the rush could bring permanent damage to the vast network of rivers, lakes and mountains which are home to many of Europe’s largest mammals, such as the lynx, wolf, bear and wolverine. Read more

Courtesy: theguardian

माफिया ने रुकवाया दीवार का काम, लोनिवि कर रहा था काम

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अवैध खनन के लिए खोह नदी में उतरने का रास्ता हो रहा था बंद

कोटद्वार (उत्तराखंड)। खोह नदी में अवैध खनन करने वाले अब सरकारी काम में भी बाधा बनने लगे हैं। नदियों में टैक्टर ट्राली उतारने का रास्ता बंद होने पर ही सड़क सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य रुकवा दिया। दिनभर अवैध खनन से भरी ट्रैक्टर ट्रालियां सड़कों पर दौड़ती रहती है। जिसके वजह से प्रशासन ने ऐसा निर्णय लिया था। खननकारियों ने लोक निर्माण विभाग की तरफ से काशीरामपुर तल्ला में करवाया जा रहा सड़क सुरक्षा दीवार का निर्माण रुकवाया दिया। जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने तहसील पहुंचकर इसकी शिकायत की। ग्रामीणों ने कहा कि खोह नदी में अवैध खनन से आबादी को खतरा बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार खननकारियों को दौड़ा चुके हैं। लेकिन उन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। गांव की हर गली और सड़क पर खननकारियों के ट्रैक्टर दौड़ रहे हैं। विस्तार से देखें

खाकी की कमी , माफिया की चांदी

 

खनन सामग्री से भरे ट्रक ने रोका डीजीपी का रास्ता

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उत्तराखंड मे खनन माफिया जगह – जगह पहाड़ एवं नदियों का सीना चीर रहे है। यही हालत हर राज्य मे है। खदान को लेकर कोर्ट ने भी कई बार प्रशासन को निर्देश दिया है। उसके बावजूद इससे निवारण नही हो रहा है। पुलिस और प्रशासन का जरा भी खौफ माफिया पर नहीं दिख रहा है। बेखौफ नदियां खोद रहे खनन माफिया को वाहन पकड़े जाने पर जुर्माना देना नहीं खल रहा है। अवैध खनन पर सिर्फ जुर्माने का प्रावधान है, माफिया तत्काल जुर्माने की राशि अदा कर वाहन रिलीज करा लेता है। फिर खनन कार्य मे लग जाता है। कहानी जस की तस बनी हुई है। ग्रामीण बार – बार आरोप लगाते है।  कार्यवाही होती है। थोड़ा शांत होने के बाद माफिया पुनः सक्रिय हो जाते है।  विस्तार से देखें

ऐसे तो रुकने से रहा अवैध खनन

क्रशरों के खिलाफ फूटा गुस्सा

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साइट का निरीक्षण करने पहुंचे पीसीबी के अफसर को लोगों ने घेरा

कीर्तिनगर। स्टोन क्रशर के विरोध में आंदोलित ग्रामीणों ने साइट का निरीक्षण करने पहुंचे उत्तराखंड पर्यावरण सरंक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी का घेराव किया।
ग्रामीणों ने आक्रोश जताया कि पर्यावरण बोर्ड से एनओसी लिए बिना ही चल रहे क्रशरों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी का कहना है कि दो क्रशरों के आवेदन विभाग को मिले हैं। अभी एनओसी निर्गत किया जाना बाकी है। बिना एनओसी के चल रहे क्रशरों पर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
क्षेत्र में पांच स्टोन क्रशरों को लगाए जाने की शासन से मिली अनुमति के विरोध में मलेथा के ग्रामीणों का धरना प्रदर्शन 19वें दिन भी जारी रहा। रविवार को मलेथा में स्टोन क्रशरों की साइट का निरीक्षण करने उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एनएस राणा पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनका घेराव कर दिया। ग्रामीणों ने आक्रोश जताया कि क्षेत्र में बिना पर्यावरण बोर्ड की अनुमति के क्रशर चल रहे हैं, लेकिन विभाग उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एनएस राणा ने कहा कि दो क्रशरों ने विभाग में आवेदन किया है। मानकों की पूर्ति के बाद ही इन क्रशरों को एनओसी निर्गत की जाएगी। शेष तीन क्रशरों ने विभाग में कोई आवेदन नहीं किया है। घेराव करने वालों में ग्राम प्रधान शूरवीर सिंह बिष्ट, राजेंद्र सिंह राणा, हरीश बलूनी, दिनेश भट्ट, गंगा सिंह, नंदा देवी, रुकमणी देवी, लक्ष्मी देवी, विधाता देवी, सीता देवी यशोदा देवी आदि शामिल थे।
 
 
 
सौजन्य: अमरउजाला